HUAWEI के लिए अमेरिका ने खड़ी कीं मुश्किलें, समेटना पड़ सकता है कारोबार
चीन की नामचीन कंपनी हुवावेई (Huawei) टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. जासूसी के आरोप में अमेरिका के बाद जापान व आस्ट्रेलिया भी उसके दूरसंचार नेटवर्क के लिए बने उपकरण इस्तेमाल करने पर रोक लगा चुके हैं.
अमेरिका का यह भी आरोप है कि वह ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करके उस देश के साथ व्यापार कर रहा है.(फाइल फोटो)
अमेरिका का यह भी आरोप है कि वह ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करके उस देश के साथ व्यापार कर रहा है.(फाइल फोटो)
चीन की नामचीन कंपनी हुवावेई (Huawei) टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं. जासूसी के आरोप में अमेरिका के बाद जापान व आस्ट्रेलिया भी उसके दूरसंचार नेटवर्क के लिए बने उपकरण इस्तेमाल करने पर रोक लगा चुके हैं. सबसे बड़ा झटका उसके 5जी नेटवर्क बाजार में जगह बनाने की मुहीम को लगने की आशंका है. अमेरिका का यह भी आरोप है कि वह ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन करके उस देश के साथ व्यापार कर रहा है.
इससे पहले ताइवान भी इसी तरह का प्रतिबंध लगा चुका है. इससे कंपनी की प्रौद्योगिकी का बाजार सीमित हो रहा है. इसी सप्ताह जापान की साइबर सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि हुवावेई और उसकी तरह से जोखिम भरे समझने जाने वाले आपूर्तिकर्ताओं को सरकारी खरीद के लिये बोली लगाने से दूर रखा जायेगा. इनमें से किसी देश ने हुवावेई से खतरों के बारे में कोई साक्ष्य पेश नहीं किया है.
कंपनी अपने उत्पादों की सुरक्षा संबंधी जांच के लिए ब्रिटेन सरकार के साथ मिलकर 2010 से एक प्रयोगशाला चला रही है. लेकिन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में चीन की महत्वाकांक्षाओं और जासूसी को लेकर बढ़ते तनाव के बीच इस कंपनी पर लग रहे आरोपों से उसके लिये दूरसंचार जैसे संवेदनशील क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो सकता है. कंपनी ने अरब डॉलर के निवेश की योजना बना रखी है.
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सूचना प्रौद्योगिकी और दूरंसचार क्षेत्र के वैश्विक बाजार पर नजर रखने वाली कंपनी आईडीसी के वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता निखिल भात्रा ने कहा कि यह निश्चित रूप से हुवावेई के लिए इस समय चिंता का विषय है क्योंकि इसमें राजनैतिक पहलू जुड़ा है और व्यवसायिक पहलू भी. उल्लेखनीय है कि हुवावेई का अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) का बजट चीन की कंपनियों में सबसे ऊपर है. कंपनी ने 2017 में इस मद में 13 अरब डॉलर का प्रावधान किया था जो कि अमेरिकी कंपनी एपल के आरएंडी बजट से 10 प्रतिशत अधिक था.
एजेंसी इनपुट के साथ
08:31 AM IST